स्वच्छ भारत मिशन की यह उपलब्धि ग्रामीण स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
20 लाखवें शौचालय का निर्माण ग्रामीण स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
यह दर्शाता है कि भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
यह पहल देश भर के लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही है।
स्वच्छ भारत मिशन दो मिलियनवें शौचालय का उद्घाटन समारोह
उत्तर प्रदेश में शौचालयों का निर्माण: स्वच्छ भारत मिशन
- कार्यक्रम के तहत निर्मित दो मिलियनवां शौचालय था। उत्तर प्रदेश में 1 लाख से अधिक शौचालय बन चुके हैं।
- 2021-2023 के बीच, उत्तर प्रदेश में इस पहल के तहत कुल 1,08,447 शौचालयों का निर्माण किया गया है।
- यह संख्या बिहार के बाद दूसरी सबसे अधिक है, जहाँ 2,07,206 शौचालय बनाए गए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन: दस लाखवां शौचालय भी उत्तर प्रदेश
- गौरतलब है कि 10 लाखवां शौचालय भी उत्तर प्रदेश में ही बनाया गया था।
- चंदौली के चकिया तहसील में 50 वर्षीय निर्मला देवी नामक ग्रामीण ने इसे बनवाया था।
स्वच्छता ऋणों से संभव
- यह सब संभव हुआ सोनाटा माइक्रोफाइनेंस द्वारा फिनिश कार्यक्रम के माध्यम से दिए गए स्वच्छता ऋणों के कारण।
- इन ऋणों ने देश भर के सभी लाभार्थियों के समुदायों को प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाने में मदद की है।
फिनिश कार्यक्रम का लक्ष्य: 35 लाख शौचालय
फिनिश कार्यक्रम ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में शौचालय बनाने के लिए 2014 में पहल शुरू की थी।
ये शौचालय ग्रामीण क्षेत्रों में उन लाभार्थियों के लिए बनाए जाते हैं जिन्हें इन क्षेत्रों में शौचालय बनाने के लिए स्वच्छता ऋण मिलता है।
इस कार्यक्रम का लक्ष्य 2025 के अंत तक 35 लाख शौचालय बनाना है।
एनजीओ ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है, जिन्हें अपने घरों या गांवों में उचित स्वच्छता प्रणालियों की आवश्यकता है।
यह पहल ग्रामीण स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है
20 लाखवें शौचालय का निर्माण ग्रामीण स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
यह दर्शाता है कि भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
यह पहल देश भर के लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही है।
भारत का पर्यावरण प्रदर्शन: चुनौतियां और पहल
2022 में पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में भारत 180 देशों में सबसे निचले स्थान पर था।
- यह रैंकिंग चिंताजनक है, खासकर जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की जीवन शक्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर।
EPI 11 मुद्दों की श्रेणियों में 40 प्रदर्शन संकेतकों को मापता है, जिनमें वायु गुणवत्ता, पेयजल और स्वच्छता शामिल हैं।
भारत को इनमें से कई संकेतकों पर कम अंक प्राप्त हुए, जिसके परिणामस्वरूप निचली रैंकिंग हुई।
भारत सरकार ने इस रैंकिंग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि EPI कार्यप्रणाली दोषपूर्ण है और यह भारतीय परिदृश्य को सही ढंग से नहीं दर्शाती है।
हालांकि, यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि भारत को पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, कचरा प्रबंधन और वनों की कटाई कुछ प्रमुख मुद्दे हैं।
भारत को अपनी पर्यावरणीय स्थिति में सुधार करने के लिए निरंतर प्रयास करने और नीतिगत बदलावों को लागू करने की आवश्यकता है।
नागरिकों को भी इन प्रयासों में योगदान देना चाहिए और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करनी चाहिए।
EPI रैंकिंग एकमात्र मापदंड नहीं है जिसके द्वारा किसी देश के पर्यावरणीय प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण कारकों में नीतिगत प्रतिबद्धता, प्रगति की गति और स्थायी विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण शामिल हैं।
निष्कर्ष
भारत को पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार इन मुद्दों को हल करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रही है।
यह महत्वपूर्ण है कि इन प्रयासों का समर्थन किया जाए और देश को अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाने के लिए मिलकर काम किया जाए।