भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने घोषणा की है कि भारत में इस साल गर्मी के मौसम यानी कि अप्रैल से जून में हमेशा के मुकाबले ज्यादा गर्मी देखने को मिलेगी। देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया जा सकेगा। अनुमान यह भी है कि गर्मी का सबसे ज्यादा असर दक्षिणी हिस्से मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों पर पड़ेगा। इसका मतलब यह हुआ कि देश के मैदानी इलाके इस बार हर साल से ज्यादा तपने वाले हैं।
इस घोषणा के बाद आम लोगों के जहन में कई सारे सवाल है जैसे इस बार ज्यादा गर्मी क्यों पड़ने वाली है? इससे क्या परेशानियां होने वाली है? परेशानियों से कैसे बचा जाए। सबसे पहले जानते हैं कि इस बार भारत में ज्यादा गर्मी क्यों होगी? इसका क्या कारण है? एक्सपर्ट के मुताबिक भारत में कम वर्षा और अधिक गर्मी का कारण अलनीनो है। भूमध्य रेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अलनीनो स्थितियां अभी मौजूद है। जिसकी वजह से समुद्र की सतह के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह तापमान समुद्र के ऊपर वायु प्रवाह को प्रभावित करता है।
क्योंकि प्रशांत महासागर पृथ्वी के लगभग 1 तिहाई हिस्से को कवर करता है। उसके बाद हवा में बदलाव दुनिया भर में मौसम को बाधित करता है जो भारत में भी ज्यादा गर्मी का कारण बनता है। ज्यादा गर्मी से आम लोगों को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। कृषि उत्पादन प्रभावित हो सकता है। पानी की कमी हो सकती है। ऊर्जा की मांग बढ़ सकती है और पारिस्थितिकी तंत्र और वायु गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
उत्तर पश्चिम, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों के कुछ हिस्सों में गर्मी की लहर ज्यादा लगने लगेगी और तपिश महसूस होनी शुरू हो जाएगी। यहां डरने वाली बात ये है की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में होने वाली इस घटना का बड़ा असर इंटरनेट की दुनिया पर पड़ेगा।
दरअसल कहा जा रहा है की सूर्य वर्तमान में चल रही सोलर साइकिल के 11वें वर्ष में पहुंच जाएगा। सूरज के 11वें वर्ष में आने के बाद धरती पर सोलर मैक्सिमम यानी सौर अधिकतम की घटना घटेगी। जानकारी के अनुसार सोलर मैक्सिमम को सूरज की सबसे बड़ी गतिविधि माना जाता है।
इस दौरान सोलर रेडिएंट्स यानी 100 विकिरण का उत्पादन लगभग 0.007 फ़ीसदी तक बढ़ जाता है। आसन भाषा में समझना की कोशिश करें तो इस दौरान सूरज की ऊर्जा काफी ज्यादा बढ़ जाती है, जिसका असर पृथ्वी की वैश्विक जलवायु पर भी पड़ता है। माना जा रहा है की इस बार सोलर मैक्सिमम काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी पृथ्वी पर इसका असर पड़ेगा। इंटरनेट रुक सकता है।
साल 2025 में सोलर मैक्सिमम के करण आने वाले सोलर स्टोर्स का बड़ा असर दुनिया भर में इंटरनेट पर पड़ सकता है। Space Agency NASA की तरफ से जानकारी के मुताबिक 1859 की कैरिंगटन घटना जिसकी वजह से टेलीग्राफ लाइंस प्रभावित हुई थी।
इन लाइंस में चिंगारी उठने के करण कई ऑपरेटर को करंट लग गया था। वहीं 80 के दशक के अंत में यानी 1989 में सौर तूफान के करण क्यूबिक पार्क ग्रेट पर बड़ा असर पड़ा था। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर अब्दुल ज्योति ने सोलर सुपरस्टार्स प्लानिंग पर और इंटरनेट अपोकेल्प्स में इसका जिक्र किया है।
इस रिपोर्ट की माने तो एक दिन भी अगर कनेक्टिविटी बाधित होती है तो 11 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का नुकसान हो सकता है। पृथ्वी के बुनियादी ढांचे को प्रभावित करने वाली सोलर साइकिल के अलावा सोलर मैक्सिमम और सोलर स्टॉर्म साल 2025 में कितने बुरे साबित हो सकते हैं। इसका फिलहाल सिर्फ अंदाज़ ही लगाया जा सकता है।