चुनाव के नतीजे आ गए हैं और सरकार भी जीत गई है लेकिन जिस तरह से जीत होनी चाहिए थी उतनी शानदार जीत नहीं हुई है। दूसरा पक्ष हार गया है। सरकार को उम्मीद थी कि 400 के आगे ही वोट मिलेगा लेकिन 292 सीट पर ही जीत मिली है। हिंदुस्तान में 64 साल बाद इतिहास रचा गया है और हिंदुस्तान में आदरणीय नेहरू जी के अलावा कोई और ऐसी सरकार नहीं ला पाया। लोग इसे डबल इंजन की सरकार कहते हैं। पिछले चुनावी नतीजे को देखते हुए ऐसे कयास लगाया जा रहे थे कि इस बार यह आंकड़ा पार कर जाएगा।
दंड इस बात का है। बीजेपी मंथन कर रही ठीक हो जाएगा। फिर जिम्मेदारी किसकी है। एक आदमी जिसको श्रेय जीत का दे रहा हो 10 साल से। क्या ठीक कर देगी भारतीय जनता पार्टी जो सारे धोखेबाजों को 10 साल में भरा है। सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं चुनाव हो रहा था। अगर उदाहरण के तौर पर देखा जाएगा तो विपक्ष ने झूठ का प्रोपेगेंडा फैलाया। इन्होंने विकास की कोई चर्चा नहीं की। जो देश के प्रधानमंत्री जी ने 10 साल में विकास का काम किया।
इन्होंने सिर्फ जनता के बीच में झूठ फैलाने का काम किया कि संविधान खत्म हो जाएगा, आरक्षण खत्म हो जाएगा, वोट का अधिकार खत्म हो जाएगा और योजना खत्म कर देंगे। हमारी सरकार यह बात बताने में असफल हो गई की संविधान नहीं खत्म होने देंगे, आरक्षण नहीं खत्म होने देंगे, हम लोकतंत्र को बचाने का काम करेंगे, जनता ने तीसरी बार मोदी जी को इसी भरोसे के साथ चुनाव जिताने का काम किया कि हम तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और हमारे जो हारने का सवाल रहा है वहां आपसी सहमति नहीं बन पाई। जो बीजेपी के एनडीए के सभी बड़े नेता थे।
वह आपस में सहमति नहीं बना पाए। अपनी कार्य योजनाओं को सही तरीके से जनता तक पहुचने मे असफल रहे। जो विपक्ष ने अफवाह फैलाया उस पर हमने प्रहार नहीं किया। सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी बन गई। झूठ और जुमले की राजनीति कौन करता है। पूरा विश्व पूरा देश जानता है। वह खुद ही इस पर जीते हैं। वह सत्ता की चाय पीने की आदत है।
उनको लगा समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो हमारी उंगली पकड़ी तो किस तरह सदन में पहुंच गए। सरकार जनता के मुद्दों पर बात नहीं करती। छात्रों के मुद्दों पर बात नहीं करती। युवाओं के मुद्दों पर बात नहीं करते। महिलाओं की समस्या पर बात नहीं करते। लोगों की परेशानियों पर बात नहीं करते। किसान परेशान था आपसे मांग रहा था। सरकार अहम मुद्दों से चूक गई इसीलिए चुनाव मे हार का मुह देखना पड़ा। भले सरकार इस चुनाव मे जीत गई है लेकिन इसे हार ही देखा जाएगा।