मेथनॉल एक कार्बनिक योगिक है जिसका अनुसूत्र CH3-OH है। इसे मिथिल अल्कोहोल, कास्ट ऑयल को मैथिल हाइड्रेट भी कहते है। इसे कास्ट ऑयल को इसलिए करते थे क्योंकि यहां एक समय में लकड़ी के भंजक आसवन से प्राप्त की जाती थी। आजकल इसका उत्पादन औद्योगिक प्रक्रम के द्वारा होता है जिसमें कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डायऑक्साइड और हाइड्रोजन प्रयुक्त होते हैं। मेथनोल सबसे सरल ऐल्कहॉल है।
यह हल्का, ज्वलनशील द्रव है। किंतु मेथनॉल अत्यंत विषैला है और पीने के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है। इसके पीने से मनुष्य मर सकता है और मरने से पहले अंधा हो जाता है। सामान्य ताप पर यह द्रव अवस्था में होता है। यह बायोडीजल के उत्पादन में भी उपयोगी है। कई देशों मे यह प्राकृतिक गैस से बनाते हैं। जबकि भारत में यह कोयले से बनाया जाता है। मेथनोल का उपयोग रसोई ईंधन यानी कि एलपीजी टेलीफोन टावर इस डीजल पेट्रोल पर चलने वाले इंजन में भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
रेलवे के डीजल इंजन समुद्री क्षेत्र जैनरेटर सैट और बिजली बनाने वाले संयंत्र में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। मेथनोल का उपयोग फॉर्मेल्डिहाइड, सिट्रिक एसिड और पॉलीथिक जैसे रसायनों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह मेथनोल और फार्मास्यूटिकल कंपनियों में भी इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय रेलवे हर साल तीन और अब लीटर डीजल खर्च करता है। इस खर्च को कम करने के लिए विमान और प्रौद्योगिकी विभाग की मदद से छः हजार डीजल इंजनों को सौ फिसदी मेथनोल के इस्तेमाल के अलावा बनाने की योजना शुरू किए जिसमें हर इंजन को बदलने की लागत 1 करोड़ रुपए आएगी।
इस पहल से भारतीय रेलवे के डीजल बिल में लगभग 50% की कमी आएगी। भारतीय परिवहन क्षेत्र में 15 फ़ीसदी मेथनोल और मिश्रित वाहनों को चलाया जाएगा। चीन, इटली, स्वीडन, इजरायल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, और कई अन्य यूरोपीय देशों में मेथनोल को सक्रिय रूप से लागू किया गया है। चीन में लगभग 9% परिवहन इंधन के रूप में मेथनोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन के लाखों वाहनों को मेथनोल से चलने लायक बनाया गया है। चीन अकेले 65% विश्व के मेथनोल का उत्पादन करता है और यह मेथनोल का उत्पादन करने के लिए कोयले का उपयोग करता है।
इसके अलावा इजरायल, इटली ने पेट्रोल के साथ 15% मिश्रण की योजना बनाई है। मेथनोल के फायदे भारत में मेथनोल के इस्तेमाल से 24 रूपए प्रतिलीटर ईधन मिलेगा जो 30% सस्ता होगा। मेथनोल के इस्तेमाल से अगले 7 साल में 20% डीजल की खपत कम करने से हर साल 26 हजार करोड़ की बचत होगी। 2030 तक मेथनोल भारत के कच्चे तेल के 10% आयात का स्थान ले सकता है। इससे कच्चे तेल की बिल में 30% की कटौती होगी। गैसोलीन के साथ मेथनोल मिश्रण से हर साल 5 हजार करोड़ और मेथनोल को एलपीजी गैस में मिलाने से फसल 6000 करोड़ की बचत होगी।
मेथनोल पर चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ने से इस सेक्टर से जुड़ी इंजीनियरिंग नौकरियां और मेथनोल और आधारित उद्योगों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। मेथनोल के इस्तेमाल से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं है। मेथनोल के जलने से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर आक्साइड का उत्सर्जन न के बराबर है। मेथनोल के परिणाम इसको सूंघा या चखा नहीं जा सकता है। ऐसा करने पर धीरे-धीरे शरीर के अंगों और मस्तिष्क को डैमेज करता है। सीने में दर्द, आंखों से देखना बंद होना, उबकाई आना जैसे लक्षण दिखाई देते।
गंभीर स्थिति में मरीज कोमा में भी जा सकता है या उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। मौजूदा समय में 10% गाड़ियों में मेथनोल मिश्रित ईंधन का उपयोग हो रहा है और मेथनोल की कीमत 42 रूपए प्रति लीटर है। मेथनोल की कीमत भी 20 रूपए प्रति लीटर या इससे भी कम हो सकते हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन M15 नाम से मेथनोल युक्त पेट्रोल बना रही है। इसमें 15% मेथनोल होती है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया M85 और M100 पर भी काम कर रही है। यदि मेथनोल का उपयोग भारत में व्यापक पैमाने पर शुरू किया जाता है तो भारत में होने वाला विकास सस्टेनेबल डेवलपमेंट कहा जाएगा।