प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) भारत के क्षेत्र को एक नई गति प्रदान करने के लिए शुरू की गई है।
यह योजना मछुआरों और पालकों के जीवन स्तर में सुधार करने,
देश की मछली उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है।
प्रमुख उद्देश्य
पीएमएमएसवाई के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं: संसाधनों का टिकाऊ और समावेशी उपयोग, मछली उत्पादन और
उत्पादकता में वृद्धि, मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण, मछुआरों और पालकों की आय को दोगुना करना, कृषि जीवीए
और निर्यात में क्षेत्र का योगदान बढ़ाना, मछुआरों के लिए सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना
और मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचा स्थापित करना।
पीएमएमएसवाई के लक्ष्य
इस के तहत, मछली उत्पादन को वर्तमान 13.75 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन करने का लक्ष्य रखा गया है।
साथ ही, जलकृषि उत्पादकता को राष्ट्रीय औसत 3 टन से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करने और प्रति व्यक्ति मछली खपत को
5 किलोग्राम से बढ़ाकर 12 किलोग्राम करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आर्थिक पहलुओं पर ध्यान
आर्थिक पहलुओं पर ध्यान देते हुए, पीएमएमएसवाई का लक्ष्य कृषि जीवीए में क्षेत्र के
योगदान को वर्तमान 7.28% से बढ़ाकर 2024-25 तक लगभग 9% करना है।
इसके अलावा, निर्यात आय को 2018-19 के ₹46,589 करोड़ से दोगुना करके 2024-25 तक ₹1,00,000 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
योजना का एक अन्य उद्देश्य क्षेत्र में निजी निवेश और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और
कटाई के बाद होने वाले नुकसान को घटाकर लगभग 10% करना है।
रोजगार और आय में वृद्धि
रोजगार और आय वृद्धि पर ध्यान देते हुए, पीएमएमएसवाई का लक्ष्य मूल्य श्रृंखला में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित करना और मछुआरों एवं पालकों की आय को दोगुना करना है।
यह योजना मछुआरों को कई लाभ प्रदान करती है।
इसके तहत मछली पकड़ने के बंदरगाहों, मछली लैंडिंग केंद्रों, मछली बाजारों, मछली चारा संयंत्रों, मछली बीज फार्मों और
मछली प्रसंस्करण इकाइयों के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मछली पालकों को तालाबों, पिंजरों, हेचरी
और नर्सरी के निर्माण, वातन प्रणालियों और अन्य उपकरणों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता मिलती है। संसाधनों के प्रबंधन के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती है।
इसके अलावा, मछली पालकों को मछली पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए ऋण-लिंक्ड सब्सिडी प्रदान की जाती है।
मछली उत्पादों के विपणन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कोल्ड चेन, मछली प्रसंस्करण इकाइयों
और पैकेजिंग सुविधाओं के विकास के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
योजना के लाभार्थी
योजना के लाभार्थी मछुआरे, मछली किसान, मछली श्रमिक, मछली विक्रेता, मत्स्य विकास निगम, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य
सहकारी समितियां, मत्स्य संघ, उद्यमी और निजी फर्म, मत्स्य कृषक उत्पादक संगठन/कंपनियां, अनुसूचित जाति/जनजाति,
महिलाएं, दिव्यांग व्यक्ति, राज्य सरकारें और उनकी संस्थाएं, राज्य मत्स्य विकास बोर्ड तथा केंद्र सरकार और उसकी संस्थाएं हैं।
(पीएमएमएसवाई) भारत के क्षेत्र में एक नवीन आयाम स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा प्रारंभ की गई है।
इस योजना का मुख्य लक्ष्य मछुआरों के जीवन स्तर में उन्नयन करना,
राष्ट्र की मछली उत्पादन क्षमता को बढ़ाना तथा मत्स्य संसाधनों के संरक्षण पर विशेष बल देना है।
लाभार्थियों को पीएमएमएसवाई के दिशा-निर्देशों के अनुसार अपने निवास जिले के जिला मत्स्य अधिकारी या संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के जिले में स्व-निहित प्रस्ताव/विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी,
जहां वे मत्स्य विकास गतिविधियां आरंभ करना चाहते हैं। आवेदन की प्रक्रिया ऑफलाइन है।
आवश्यक दस्तावेजों
आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता विवरण, व्यवसाय पंजीकरण प्रमाणपत्र, परियोजना रिपोर्ट, भूमि दस्तावेज
(यदि परियोजना के लिए भूमि की आवश्यकता हो) तथा साझेदारी विलेख या एसोसिएशन का ज्ञापन शामिल हैं।
इस देश के लाखों मछुआरे और उनके परिवार लाभान्वित होंगे।
इसके साथ ही उद्योग से जुड़े अन्य व्यक्तियों जैसे बाजार व्यापारियों, प्रसंस्करण इकाइयों के मालिकों और परिवहन कर्मियों को भी लाभ होगा।
यह मछुआरों की आय में वृद्धि करने और उनकी आजीविका में सुधार लाने में सहायक होगी।
निष्कर्ष
भारत के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने में सक्षम है।
इसके व्यापक उद्देश्यों और विशेषताओं से इस क्षेत्र में विस्तृत विकास और समृद्धि लाने की आशा है।
यदि इसे उचित तरीके से लागू किया जाता है, तो यह न केवल मछुआरों की आजीविका को बेहतर बनाएगा, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।