मनुष्य और मानव में यह अंतर है कि मनुष्य मनुष्य शब्द ऐसी प्रजाति को प्रकट करता है, जो दो पैरों पर चलती है, जिसमें बुद्धि है और जो संसार की अन्य जैविक प्रजातियों जैसे, पशु-पक्षी, जलचर, कीट, सरीसृप आदि से अलग है, जबकि मानव होना मनुष्य का एक विशिष्ट गुण है।
मनुष्य का मानव होना वह गुण है, उसे अन्य प्रजातियों से अलग करता है, जो उसे पशु पक्षी कीड़े मकोड़े जलचर आदि से अलग प्रकट करता है। एक मनुष्य जन्म लेकर जीवन भर मनुष्य बना रहता है, क्योंकि मनुष्य होना भौतिक शरीर को प्रकट करता है, यदि उसने मनुष्य के रूप में जन्म लिया है, तो वो मनुष्य के रूप में ही मरेगा। लेकिन एक मनुष्य मानव तब ही बन पाता है, जब वह ऐसे गुणों को अपनाये जो केवल मनुष्य के लिये निर्धारित किये गये हैं। जहाँ मनुष्य होना एक अनिवार्य और स्थायी तथा सीमित गुण है, वहीं मानव होना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है, जो विशाल अर्थ लिये है। मनुष्य मानव अपने आचरण और कर्म से बनता है।
व्यक्ति मनुष्य बनकर जन्म लेता है, लेकिन उसे मानव स्वयं बनना पड़ता है।
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मानव और मनुष्य होने में मुख्य अंतर यह है कि मानव एक जैविक प्रजाति है, जबकि मनुष्य होना एक आध्यात्मिक या नैतिक
स्थिति है।
मानव शब्द का प्रयोग अक्सर एक विशिष्ट प्रजाति, होमो सेपियंस, का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह प्रजाति अफ्रीका में उत्पन्न हुई और लगभग 200,000 वर्षों से पृथ्वी पर रह रही है। मानव की कुछ विशिष्ट विशेषताओं में शामिल हैं:
- दो पैरों पर चलने की क्षमता
- जटिल भाषा का उपयोग करने की क्षमता
- दूसरों के साथ जटिल सामाजिक संबंध बनाने की क्षमता
मनुष्य शब्द का प्रयोग अक्सर एक आध्यात्मिक या नैतिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति अपने आप को और दूसरों को उच्चतम स्तर पर समझता और व्यवहार करता है।
मनुष्य होने की कुछ विशेषताओं में शामिल हैं:
- करुणा
- दया
- प्रेम
- समझ
- न्याय
मानव और मनुष्य होने के बीच का अंतर अक्सर इस तरह समझाया जाता है कि मानव होना एक जैविक तथ्य है, जबकि मनुष्य होना एक चुनाव है। हर कोई मानव पैदा होता है, लेकिन हर कोई मनुष्य नहीं बनता है। मनुष्य बनने के लिए, एक व्यक्ति को
अपने आप को और दूसरों को उच्चतम स्तर पर समझने और व्यवहार करने के लिए चुनना चाहिए।
यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कैसे मानव और मनुष्य होने के बीच का अंतर प्रकट हो सकता है:
- एक व्यक्ति जो दूसरों के साथ क्रूरता करता है, वह मानव हो सकता है, लेकिन वह मनुष्य नहीं है।
- एक व्यक्ति जो दूसरों की मदद करने के लिए अपनी जिंदगी को समर्पित कर देता है, वह मनुष्य है, भले ही
वह शारीरिक रूप से विकलांग हो। - एक व्यक्ति जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाता है, वह मनुष्य है, भले ही वह किसी भी आधुनिक तकनीक का उपयोग न करता हो।
अंततः, मानव और मनुष्य होने के बीच का अंतर व्यक्तिगत विश्वास और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। हालांकि, यह एक महत्वपूर्ण अंतर है जिस पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि हम अपने जीवन और अपने समाज के बारे में सोचते हैं।
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